PM Vishwakarma Yojana 2025 : भारतीय समाज में कारीगर और शिल्पकार हमेशा से ही हमारी सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक विकास के मूल स्तंभ रहे हैं। देश भर में फैले असंख्य कुशल कारीगर अपनी पारंपरिक कला और हुनर के बल पर पीढ़ियों से समाज को सेवा प्रदान करते आ रहे हैं। इन्हीं कारीगरों को सम्मान देने और उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने “प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना” की शुरुआत की है। यह योजना उन सभी पारंपरिक कारीगरों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो अपने पुश्तैनी व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहते हैं और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाना चाहते हैं।
योजना की घोषणा और मूल उद्देश्य
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विश्वकर्मा जयंती के पावन अवसर पर 17 सितंबर 2023 को इस महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना के मुख्य उद्देश्यों में देश के पारंपरिक शिल्पकारों को आधुनिक प्रशिक्षण देना, उन्हें पर्याप्त वित्तीय मदद उपलब्ध कराना और उनकी कला को राष्ट्रीय तथा वैश्विक बाजार में स्थापित करना शामिल है। सरकार का उद्देश्य “लोकल से ग्लोबल” की अवधारणा को साकार करना है, जिसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों के पारंपरिक उद्योगों को सशक्त बनाना अत्यंत आवश्यक है। यह योजना “वोकल फॉर लोकल” के संकल्प को भी मजबूती प्रदान करती है।

योजना के पात्र कारीगर और व्यवसाय
यह योजना विशेष रूप से उन पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए तैयार की गई है जो पुरानी पीढ़ियों से अपने विशिष्ट व्यवसाय में लगे हुए हैं। इस योजना के अंतर्गत बढ़ई, स्वर्णकार, लुहार, चर्मकार, नाई, धोबी, राजगीर, टोकरी निर्माता, दर्जी, प्रतिमा निर्माता, मछली पकड़ने वाले, लोहे और लकड़ी की वस्तुएं बनाने वाले कारीगर और कुम्हार आदि को सम्मिलित किया गया है। केंद्र सरकार ने कुल 18 विभिन्न पारंपरिक व्यवसायों को इस योजना के दायरे में लाया है ताकि हर वर्ग के कारीगर को समान अवसर प्राप्त हो सके और वे अपने कौशल के आधार पर प्रशिक्षण एवं आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकें।
योजना से प्राप्त होने वाले मुख्य फायदे
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत लाभार्थियों को अनेक प्रकार की सुविधाएं और सहायता प्रदान की जाती है। सबसे पहले, प्रत्येक पात्र कारीगर को विश्वकर्मा पहचान पत्र और डिजिटल प्रमाण पत्र जारी किया जाता है जिसके माध्यम से वे सीधे तौर पर सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को आधुनिक तकनीक पर आधारित व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे बाजार की बदलती मांग के अनुरूप उत्पाद तैयार कर सकें।
वित्तीय मदद की बात करें तो प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद पहले चरण में लाभार्थी को ₹1 लाख का बिना ब्याज का ऋण प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त, व्यवसाय को बढ़ाने के लिए दूसरे चरण में ₹2 लाख तक का अतिरिक्त ऋण भी उपलब्ध कराया जाता है। प्रशिक्षण की अवधि के दौरान प्रत्येक लाभार्थी को ₹500 प्रतिदिन के हिसाब से भत्ता दिया जाता है। साथ ही, कारीगरों को अपने काम के लिए जरूरी आधुनिक उपकरण खरीदने हेतु ₹15,000 तक की आर्थिक मदद भी दी जाती है।
आवेदन की प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में आवेदन करने की पूरी प्रक्रिया डिजिटल माध्यम से की जाती है। इच्छुक कारीगर अपने आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और बैंक खाते की जानकारी के साथ योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://pmvishwakarma.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के जरिए भी आवेदन प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। आवेदन जमा करने के बाद संबंधित विभाग द्वारा सभी दस्तावेजों की जांच की जाती है और योग्यता के आधार पर लाभार्थी को योजना में शामिल किया जाता है।
योजना की खास बातें और दूरगामी प्रभाव
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है बल्कि यह कारीगरों के पारंपरिक कौशल को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य भी करती है। योजना के माध्यम से प्रशिक्षित कारीगरों को ई-कॉमर्स मंच से जोड़ा जाता है जिससे वे अपने उत्पादों को ऑनलाइन माध्यम से पूरे देश और विदेश में बेच सकते हैं। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने, नए रोजगार के अवसर पैदा करने और युवा पीढ़ी को अपनी पारंपरिक कलाओं की ओर आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सरकार का लक्ष्य आगामी वर्षों में लाखों विश्वकर्माओं को प्रशिक्षित कर उन्हें पूर्णतः आत्मनिर्भर बनाना है।
बजट आवंटन और कार्यान्वयन
इस महत्वाकांक्षी योजना के सफल संचालन के लिए केंद्र सरकार ने ₹13,000 करोड़ से अधिक का बजट निर्धारित किया है। इस योजना को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME Ministry) के माध्यम से पूरे देश में लागू किया जा रहा है। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकारों और जिला स्तर के प्रशासन को भी इसमें सक्रिय रूप से शामिल किया गया है ताकि हर पात्र लाभार्थी तक सहायता समय पर और सुचारू रूप से पहुंच सके।
योजना से जुड़ी विशेष जानकारी
इस योजना का मुख्य फोकस “कौशल, पैमाना और गति” पर आधारित है। हर एक लाभार्थी को डिजिटल पहचान प्रदान की जाती है जिससे कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बनी रहे। ऋण की पूरी प्रक्रिया बिना किसी गारंटी या संपत्ति की जमानत के की जाती है। योजना का लाभ एक परिवार में केवल एक सदस्य को ही दिया जा सकता है। सभी प्रकार के प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से भेजी जाती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1: इस योजना का मुख्य लक्ष्य क्या है? उत्तर: योजना का मुख्य लक्ष्य पारंपरिक कारीगरों को आर्थिक, तकनीकी और प्रशिक्षण सहायता देकर उन्हें स्वावलंबी बनाना है।
प्रश्न 2: इस योजना का लाभ किन-किन व्यवसायों से जुड़े लोग उठा सकते हैं? उत्तर: बढ़ई, स्वर्णकार, लुहार, चर्मकार, नाई, राजगीर, दर्जी, प्रतिमा निर्माता, कुम्हार, टोकरी बुनकर, धोबी जैसे 18 पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े व्यक्ति इस योजना के पात्र हैं।
प्रश्न 3: योजना के अंतर्गत अधिकतम कितना ऋण मिल सकता है? उत्तर: योजना में कुल ₹3 लाख तक का बिना ब्याज का ऋण दिया जाता है – ₹1 लाख पहले चरण में और ₹2 लाख दूसरे चरण में।
प्रश्न 4: आवेदन करने का सही तरीका क्या है? उत्तर: आवेदन योजना की आधिकारिक वेबसाइट pmvishwakarma.gov.in या नजदीकी CSC केंद्र के माध्यम से किया जा सकता है।
प्रश्न 5: क्या प्रशिक्षण के समय कोई वित्तीय मदद मिलती है? उत्तर: हां, प्रशिक्षण अवधि में लाभार्थी को ₹500 प्रतिदिन का भत्ता और ₹15,000 तक की उपकरण खरीद सहायता दी जाती है।